2025 दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति चुनाव: ली जे-म्योंग 50.1% मतों के साथ विजयी, किम मून-सू 32.3%
ली जे-म्योंग, जो पहले कियोन्गी प्रांत के गवर्नर और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता थे, ने नाटकीय घटनाओं के बीच राष्ट्रपति पद हासिल कर लिया है. सैन्य कानून की घोषणा और पूर्व राष्ट्रपति यूँ सुक-योल के महाभियोग के बाद हुए आकस्मिक चुनाव में इनकी जीत हुई.
मुख्य परिचय: संघर्ष से शिखर तक
• शुरुआती जीवन: गरीब परिवार में जन्मे ली जे-म्योंग कम उम्र में ही फैक्ट्री में काम करने लगे. एक कारखाने में दुर्घटना से उन्हें शारीरिक दिव्यांगता भी हुई.
• नगर-प्रशासक से गवर्नर: इन्होंने सोंगनाम शहर के मेयर (2010–2018) एवं कियोन्गी प्रांत के गवर्नर (2018–2021) के रूप में काम किया, लोक-कल्याणकारी नीतियाँ चलाईं, पर इन्हें “जन-लोकप्रिय” (पोप्युलिस्ट) होने के आरोपों का सामना भी करना पड़ा.
• 2024 की विपदा: पूर्व राष्ट्रपति यूँ सुक-योल द्वारा कथित रूप से Martial Law लगाने का प्रयास किया गया. ली ने राष्ट्रीय सभा भवन की बाड़ पर चढ़कर लाइव स्ट्रीम की, जनता से विरोध करने का आग्रह किया. अंत में यूँ का महाभियोग हुआ.
• 2025 चुनाव: इस असाधारण पृष्ठभूमि में हुए समय पूर्व चुनाव में ली जे-म्योंग को 50.1% मत, किम मून-सू को 32.3% मत मिले.
प्रमुख नीतिगत बिंदु
1) बेसिक इनकम (सार्वभौमिक आय): युवाओं, किसानों को प्राथमिकता के साथ प्रारंभ, भविष्य में विस्तार का लक्ष्य.
2) आर्थिक न्याय: बड़े कॉर्पोरेट और छोटे-मझोले उद्यम के बीच संतुलन, रियल एस्टेट क्षेत्र में speculative गतिविधियों पर अंकुश.
3) बाह्य नीति: अमेरिका के साथ मज़बूत साझेदारी, लेकिन चीन से भी तालमेल. जापान से व्यापार और ऐतिहासिक विवादों पर “दोहरी-रणनीति.”
4) कानूनी चुनौतियाँ: कुछ मामलों में मुकदमे जारी, पर फिलहाल किसी सज़ा के अभाव में राजनीतिक रास्ता साफ़.
“कभी ज़रूरी हो, तो 5.2 करोड़ लोगों के भले के लिए हमें बड़े शक्तिशाली राष्ट्राध्यक्ष के आगे भी झुकना पड़े, तो झुकेंगे,” — एक पुराने बयान से पता चलता है कि ली जे-म्योंग अपने लक्ष्य साधने में किसी भी हद तक जाने का इशारा करते हैं.
पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
हाँ, आलोचक कहते हैं कि ये लोक-लुभावन नीतियाँ अपनाते हैं, ख़ासकर बेसिक इनकम. समर्थक इसे गरीब-वर्ग आधारित “वास्तविक न्याय” कहते हैं.
लाइव वीडियो में नेशनल असेंबली की बाउंड्री पार करते दिखे, इस साहसिक कदम से देशभर में उन्हीं की चर्चा हुई. जनता ने उनके “लोकतंत्र के रक्षक” वाले रुख को सराहा.
ली जे-म्योंग का उदय असाधारण है — गरीबी से निकलकर, स्थानीय प्रशासन में साहसिक बदलाव करके, और राष्ट्रीय स्तर पर आपात स्थितियों में अपनी छवि चमकाकर. अब राष्ट्रपति बनने के बाद क्या वे अपनी महत्वाकांक्षी नीतियों को अमल में ला पाएँगे या फिर कानूनी लड़ाइयों व आर्थिक चुनौतियों में उलझ जाएँगे? यह देखने की बात होगी.
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