कार खरीद के ऋण की पेचीदगियों से बचें और अनचाहे घाटे से सावधान रहें
कुछ समय पहले मैंने एक पुरानी कार खरीद ली थी उत्साहित होकर, लेकिन बाद में एहसास हुआ कि किश्तों और ब्याज का बोझ मेरी सोच से कहीं ज़्यादा बड़ा हो गया। यह अनुभव साझा कर रहा हूँ ताकि आप ऐसी जटिलताओं से बच सकें।
नकारात्मक इक्विटी का जोखिम
जब आपको कार से कम कीमत मिल रही हो, लेकिन ऋण शेष उससे कहीं अधिक हो, इसे नकारात्मक इक्विटी कहा जाता है।
ऐसे में पुरानी कार की वैल्यू घटती जाती है, लेकिन कर्ज़ का बोझ जस का तस बना रहता है।
मूल बात: अगर आप जल्द कार बेचने या बदलने की सोच रहे हैं तो भी आपको बचे हुए लोन का ध्यान रखना होगा।
कभी-कभी इसी वजह से नई गाड़ी लेना और भी महंगा सौदा बन जाता है।
प्राचीन कथाओं या ग्रंथों में कई बार कहा जाता है कि “उधार की अनदेखी समय पर न करना बड़ा संकट ला सकता है।”
पुरानी कार खरीदते समय यह बात सत्य प्रतीत होती है।
ब्याज संरचना और छिपी हुई फीस
कई बार किस्तों का बड़ा हिस्सा शुरुआती महीनों में ब्याज चुकाने में चला जाता है।
इस कारण मूलधन कम होते-होते लंबा समय निकल जाता है।
सलाह: लोन का अनुबंध पढ़ते समय प्रीपेमेंट पेनल्टी (अग заранее भुगतान करने पर शुल्क) की जांच करें।
ऐसा न हो कि जल्दी लोन चुकाने पर आपको अतिरिक्त राशि देनी पड़ जाए।
कई साहित्यिक रचनाओं में उल्लेख है कि बिना सोचे-समझे हस्ताक्षर करना मुसीबत का सबब हो सकता है।
पुरानी कार लोन के साथ भी सावधान रहना ज़रूरी है।
पुरानी गाड़ी बदलकर नई लेने में छिपे खतरे
कई लोग सोचते हैं कि पुरानी गाड़ी को बदलकर नई लेने से समस्या हल हो जाएगी, मगर अक्सर पुराने लोन का शेष भी नए लोन में जुड़ जाता है।
इससे कुल कर्ज़ का पहाड़ और ऊँचा हो सकता है।
नोट: अगर पुरानी गाड़ी की कीमत ऋण शेष से कम है, तो आपको वह अंतर तुरंत चुकाना होगा।
कभी-कभी पुरानी कार को कुछ समय और चलाना तथा लगातार किश्त चुकाकर ऋण कम करना, नई कार खरीदने से बेहतर हो सकता है।
अनुभव और मज़ेदार किस्से
बाज़ार में ऐसे मज़ेदार किस्से मिल जाते हैं जहाँ लोग सालों-साल एक पुरानी कार की किश्त चुकाते रहे, जबकि कार की दशा लगातार बिगड़ती चली गई।
यह दुखद होते हुए भी एक हद तक मज़ाक जैसा लगता है।
मेरे एक परिचित ने सस्ती समझकर पुरानी कार ले ली।
कुछ महीनों बाद ख़र्च देख बोले, “सस्ता सौदा महँगा हो गया।”
सीख: सिर्फ़ मूल्य-टैग देखकर ख़ुश न हों, कुल लागत और कार की वास्तविक स्थिति समझना ज़रूरी है।
समग्र ख़र्च को जानें
केवल कार का दाम ही नहीं, बल्कि उस पर लगने वाला ब्याज, बीमा और रखरखाव भी जोड़ें।
पहली नज़र में सस्ता लगने वाला सौदा अंततः महँगा साबित हो सकता है।
मसलन, कार की कीमत ₹5 लाख दिख रही हो, पर कुल भुगतान ₹6 लाख तक पहुँच सकता है ब्याज आदि जोड़कर।
पुरानी पुस्तकों से सबक
पुराने ग्रंथों में उधार के बोझ का वर्णन मिलता है, जो हमारी सुख-शांति तक छीन सकता है।
यही बात महँगी दरों पर उठाए गए कार लोन के बारे में भी लागू होती है।
निजी अनुभव: मैंने देखा है लोग पुरानी कार का कर्ज़ उतारने के लिए अतिरिक्त काम करते-करते थक जाते हैं, जबकि कार ख़ुद बार-बार खराब होती रहती है।
लोन लेने से पहले विभिन्न बैंकों या फाइनेंस कंपनियों से प्रस्ताव ज़रूर लेना चाहिए।
कभी-कभी डीलरशिप की ऑफ़र सुविधाजनक नहीं होती, तुलना करना लाभदायक हो सकता है।
“शून्य डाउन पेमेंट” जैसी योजनाओं से सावधान रहें, क्योंकि इनकी EMI या ब्याज दर अधिक हो सकती है, जिससे आख़िर में कुल राशि बढ़ जाती है।
डीलरशिप द्वारा दिए गए किसी भी ऐड-ऑन या एक्स्ट्रा फीचर्स पर ध्यान दें कि कहीं वे आपकी EMI में छिपे चार्ज के रूप में न जुड़े हों।
नीचे एक उदाहरण सारणी दी गई है जो अनुमानित खर्च दिखाती है।
ब्याज दर | मासिक किस्त | कुल भुगतान |
---|---|---|
8% | ₹10,000 | ₹6,00,000 |
10% | ₹11,000 | ₹6,60,000 |
कुछ आम सवाल कार लोन को लेकर
यहाँ कुछ प्रश्न दिए जा रहे हैं जो अक्सर कार खरीद के दौरान उभरते हैं।
प्रायः ऋण पूरा चुकाए बिना गाड़ी का स्वामित्व बदलना संभव नहीं है। पहले शेष लोन निपटाना पड़ता है।
हाँ, इससे मूल राशि कम हो जाती है, तो ब्याज भी कम लगता है। लेकिन अपनी आपात निधि को ख़त्म न करें।
ज़रूर, पर देखें कि प्रीपेमेंट फीस तो नहीं लग रही। अगर नहीं लगती तो जल्दी चुकाकर ब्याज बचाया जा सकता है।
हो सकता है उल्टा, क्योंकि नया लोन पुराना लोन समाहित करके कुल रकम और बढ़ा सकता है।
जल्दी चुकाने या बेचने जैसे विकल्प ही बचते हैं। इनमें कभी-कभी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
निष्कर्ष यह है कि पुरानी कार खरीदते समय लोन की शर्तों और कुल लागत पर विशेष ध्यान दें। थोड़ी अतिरिक्त सावधानी आपको लंबे समय तक बेवजह के वित्तीय तनाव से बचा सकती है।
लंबे वित्तीय बोझ से बचते हुए पुरानी कार लोन को समझदारी से सँभालें
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